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ए कवसट ऑफ हरज

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अध्याय दो

थोर गुस्से से उबल रहा था, वह घंटों पहाड़ी पर घूमता रहा, और फिर अंत में उसने एक पहाड़ी चुन लिया और उस पर अपने पैरों को हाथों से पकड़ कर क्षितिज के उस पार देखते हुए बैठ गया। उसने गाडी को आँखों से ओझल होते हुए देखा, उसके घंटों बाद भी धूल के गुबार को उसने उड़ते हुए देखा।

अब और कोई दौरा नहीं होगा। यदि वे कभी वापिस आयें भी तो, एक और मौके के लिए उसे बरसों इंतज़ार करना पड़ेगा — उसके भाग में तो बस इसी गाँव में रहना लिखा है। क्या पता उसके पिता अब एक और मौके की इजाजत दें भी या नहीं। अब तो घर में बस वो और उसके पिता रहेंगें, और यह बात तो पक्की है कि उसके पिता अब अपना पूरा गुस्सा उस पर ही निकाला करेंगें। सालों गुजर जायेंगे और वो बस अपने पिता का सेवक बन कर रह जाएगा, अपने पिता की तरह ही उसे भी यह बेमतलब की ज़िन्दगी यहीं गुज़ारनी पड़ेगी — जबकि उसके भाई गौरव और यश की प्राप्ति करेंगें। उसकी नसों में जैसे खून खौल रहा था। उसका मकसद ऐसी ज़िन्दगी जीने का कतई नही था। वह यह जानता था।

थोर अपने दिमाग पर जोर दे रहा था कि वो कुछ भी ऐसा करे जिससे कि वो यह सब बदल सके। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। उसके किस्मत में तो बस ये ही पत्ते निकले थे।

घंटों बैठने के बाद वह हताश हो कर उठा और जाने पहचाने रास्ते से पहाड़ी से ऊपर और ऊपर की ओर चलने लगा। जैसा निश्चित था, वो पहाड़ी के ऊपर झुण्ड की ओर चला गया। वो ऊपर की ओर चढ़ रहा था और सूरज भी अपने जोरों पर था। ऐसे ही घुमते हुए उसने बड़े आराम से, बेखबर हो कर कमर पर लगी गुलेल को हटाने लगा, सालों के उपयोग से चमड़े की पकड़ काफी अच्छी हो गई थी। कूल्हे पर बंधे बोरी में से वह चिकने पत्थरों को सहलाने लगा, हर एक पत्थर दुसरे से नर्म था, ये पत्थर उसने सबसे अच्छे नदी नालों से इकट्ठे किए थे। वह कभी चिड़ियों पर तो कभी चूहों पर निशाना साधता। उसकी यह आदत उसमें बरसों से अंतर्निहित थी। शुरू में तो उसके सारे लक्ष्य चूक गए; लेकिन फिर बाद में एक चलते हुए लक्ष्य पर उसका निशाना लग गया। और तब से उसका हर एक निशाना सही था। अब तो पत्थर मारना उसकी आदत बन गयी थी — और इससे उसे अपने गुस्से को कम करने में मदद मिली। उसके भाई वृक्ष के तने को तलवार से काट सकते थे —लेकिन वे कभी भी उड़ते पक्षी पर निशाना नहीं साध सकते थे।

थोर ने गुलेल पर एक पत्थर रखा और उसे आंख मूंदकर इतने जोरों से छोड़ा मानो अपने पिता पर निशाना लगा रहा हो। उसका निशाना दूर स्थित एक पेड़ पर जा लगा, और उसकी एक शाखा नीचे गिर गई। जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि वो सच में चलते जानवरों पर निशाना लगा सकता था तो उसने उन पर निशाना लगाना बंद कर दिया; अब उसका लक्ष्य पेड़ों की शाखाएं थी। जब तक निस्संदेह कोई लोमड़ी उसके झुण्ड के पीछे नहीं आती। समय के साथ-साथ वे भी उसके निशाने पर आने से बचना सीख गए थे, परिणाम स्वरुप थोर की भेड़ें अब पूरे गांव में सबसे सुरक्षित थी।

थोर अपने भाईयों के बारे में सोचने लगा, यह कि वो अभी कहाँ हो सकते थे और वो गुस्से से उबलने लगा। एक दिन की सवारी के बाद वे राजा के दरबार में पहुँच जायेंगें। वो यह सब तस्वीर देख पा रहा था। वह देख पा रहा था, बड़ी धूम-धाम से उनका स्वागत किया जा रहा है, बेहतरीन कपड़े पहने लोग उन्हें देखने के लिए आए थे। योद्धा उनका स्वागत कर रहे थे। सिल्वर के सदस्य भी। उन्हें अन्दर ले जाया जायेगा, उन्हें क्षेत्र के बैरक में रहने की जगह दी जायेगी, राजा के मैदान में बेहतरीन हथियारों सहित उन्हें प्रशिक्षण के लिए ले जाया जाएगा। प्रत्येक को एक प्रसिद्ध नाइट की पदवी से सम्मानित किया जाएगा। एक दिन वे खुद अनुचर बन जायेंगे, उनके अपने घोड़े होंगे, अपने हथियार होंगे और उनके भी अपने अनुचर होंगें। वे सभी समारोहों में हिस्सा लेंगें और राजा की मेज पर भोजन करेंगे। यह एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला जीवन था। और यह उसके हाथ से फिसल गया था।

थोर ने शारीरिक रूप से अपने आपको बीमार महसूस किया, और अपने मन से सब कुछ निकालने का प्रयास किया। लेकिन उसके भीतर एक उसका अपना एक हिस्सा था जो उस पर चिल्ला रहा था। उसका वो हिस्सा उसे कह रहा था कि वो उम्मीद ना छोड़े, उसका भाग्य इससे भी कहीं बेहतर है। उसे नहीं मालूम था कि वो क्या है, लेकिन वह जानता था वो यहाँ नहीं है। उसे लग रहा था वो बिलकुल अलग है। शायद और भी ख़ास। यहाँ तक कि कोई भी उसे समझ ही नहीं पाया था। और सब ने उसे कम आंका है।

थोर उच्चतम टीले पर पहुँच गया और उसने अपने झुंड को देखा। वे सभी झुण्ड में थे, उन्हें अच्छा प्रशिक्षण मिला था, जो कुछ भी घास उन्हें मिला वो बड़े संतुष्ट हो कर उसे खा रहे थे। उसने उनकी पीठ पर लगे लाल निशान के आधार पर उनकी गिनती की। गिनती खत्म होने पर उसे एक धक्का लगा। उनमें एक भेड़ कम थी।

उसने फिर से गिना, और एक बार फिर। उसे विश्वास नहीं हो रहा था: एक भेड़ गायब थी।

थोर ने इससे पहले कभी कोई भेड़ नहीं खोयी थी, और उसके पिता अब उसे कभी माफ़ नहीं करेंगें। इससे भी बुरा उसे ये लग रहा था कि एक भेड जंगल में अकेली और कमजोर थी। उसे यह बहुत बुरा लग रहा था कि एक निर्दोष को सहना पड़ रहा है।

थोर टीले के ऊपर चढ़ कर चारों ओर तब तक देखता रहा जब तक उसे वो अकेला, लाल निशान वाली भेड़ दिख ना जाए। वो भेड़ झुण्ड में सबसे बिगडैल थी। जब उसे एहसास हुआ कि वो केवल भागा ही नहीं था बल्कि पश्चिम की ओर गहरे जंगल की तरफ जा रहा था तो उसका दिल बैठ गया।

थोर ने थूक निगला। गहरे जंगल में जाने की इजाजत नहीं थी – भेड़ ही नहीं बल्कि इंसानों को भी। यह गाँव की सीमा से बाहर था, जब से उसने चलना सीखा है तब से थोर जानता था वहाँ जाना मना है। वो वहाँ कभी नहीं गया था। ने कहानियों में कहा गया है कि वहाँ जाने का मतलब है निश्चित मौत, यह जंगल अगोचर और शातिर जानवरों से भरा हुआ था।

थोर ऐसे ही विचार करते हुए काले आसमान की ओर देखने लगा। वो अपने भेड़ को यूं ही नहीं जाने दे सकता था। वो सोचने लगा यदि थोड़ी और तेज चला जाए तो हो सकता है उसे समय पर वापिस ला सकूं।

एक आखिरी बार उसने मुड़ कर देखा और फिर पश्चिम की ओर गहरे जंगल की तरफ़ भागने लगा, ऊपर घने बादल छाये हुए थे। उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, ऐसा लग रहा था मानो उसके अपने पैर उसे कहीं लिए जा रहे थे। उसे एहसास हुआ वह चाहे तो भी अब वापिस नहीं जा सकता था।

यह सब एक दुःस्वप्न जैसा लग रहा था।

*

थोर बिना रुके कई पहाड़ियों को पार करते हुए घने जंगलों में पहुँच गया, जहां जंगल शुरू होता था वहीँ जाकर निशान ख़त्म हो गए थे, और वह अब भागता हुआ एक गुमनाम क्षेत्र में पहुँच गया था, पत्तियाँ उसके पैरो तले चर-मरा रही थी।

जैसे ही उसने जंगल में कदम रखा, उसे अँधेरे ने जैसे घेर लिया, उसके ऊपर इतने ऊंचे पेड़ थे जो रौशनी को रोक रहे थे। यहाँ ठण्ड काफी थी, और जैसे ही उसने सीमा पार की उसने भी सिहरन महसूस की। यह सिहरन ठण्ड से या अँधेरा से नहीं थी ­ यह तो कुछ और था। कुछ ऐसा जिसे वो नाम नहीं दे पा रहा था। कुछ ऐसा मानो जैसे कोई उस पर नज़र रख रहा हो।

थोर ने लहराते और हवा में चरमराती हुई प्राचीन शाखाओं को देखा। वह मुश्किल से पचास कदम चला ही था कि उसे जानवरों की अजीब सी आवाज सुनाई देने लगा। वह पीछे मुड़ कर उस ओर देखने लगा जहां से वो अन्दर आया था; उसको जैसे पहले से ही एहसास हो गया था कि अब वापिस जाने का कोई रास्ता नहीं था। वह झिझक रहा था।

घना जंगल तो हमेशा से शहर की परिधि में था और थोर की चेतना की परिधि पर भी, बहुत गहरा सा और काफी रहस्यमयी भी। कभी भी किसी भेड़ के गहरे जंगल में जाने पर किसी भी चरवाहे की इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि वो उसकी खोज में निकल पड़े। यहां तक ​​कि उनके पिता भी। इस जगह से जुड़ी ने कहानियां भी गहरी और जबर्दस्त थी।

लेकिन आज कुछ अलग थी जिसकी वजह से थोर को अब किसी बात की परवाह नहीं थी, उसे अब कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। उसका एक मन तो कह रहा था की अपने घर से जितनी दूर हो सके निकल जाए, चाहे जिन्दगी कहीं भी ले जाए।

वह काफी आगे तक निकल चुका था, अब उसे समझ नहीं आ रहा था किस और जाए, ये सोच कर वह रुक गया। उसे कुछ निशान दिखे, जिस ओर उसकी भेड़ गई होगी वहां पर शाखाएं झुकी हुयी थी और वह उस ओर मुड़ गया। कुछ देर बाद वह फिर मुड़ा।

एक घंटा और बीत गया, अब वह भटक गया था। वह याद करने का प्रयास करने लगा कि वह किस ओर से आया था लेकिन उसे तो कुछ भी याद नहीं था। उसके पेट में बल पड़ रहे थे, उसे लगने लगा था बाहर निकलने का रास्ता बस सामने वाला है और फिर वह बढ़ता चला गया।

कुछ दूरी पर थोर को सूर्य के प्रकाश की एक लड़ी दिखाई दी और वो उस और बढ़ गया। थोड़ी सी खुली और साफ़ जगह पर उसने अपने आपको स्थिर कर लिया और जो उसने देखा उसे अपने आँखों पर विश्वास नहीं हुआ।

वहाँ थोड़ी दूरी पर एक लंबे, नीले साटन का लिबास पहने एक आदमी थोर की ओर पीठ किये खड़ा था। उसे एहसास हो रहा था कि वो सिर्फ एक आदमी नहीं है। वह तो कुछ और ही लग रहा था। शायद कोई पुरोहित था। वह काफी लम्बा था और बिलकुल सीधे खड़ा था, सर पर टोप लिए एकदम चुपचाप, ऐसा लग रहा था मानो उसे पूरी दुनिया में किसी का भी फ़िक्र नहीं था।

थोर को पता नहीं था कि क्या करे। उसने पुरोहितों के बारे में सुन तो रखा था लेकिन कभी सामना नहीं हुआ था। उसके पोशाक से और सोने से सज्जित उसकी शख्सियत यही बतला रहे थे वो कोई साधारण पुरोहित नहीं था: यह सब तो शाही था। थोर को समझ नहीं आया। एक शाही पुरोहित भला यहाँ क्या कर रहा था?

एक अनंत काल जैसा महसूस करने के बाद, पुरोहित धीरे से मुड़े और उसकी ओर मुख किया, और जैसे वे मुड़े थोर ने उनका चेहरा पहचान लिया। उसकी तो मानो जैसे सांसें थम सी गई थी। वह राजा का निजी पुरोहित था: राज्य में सबसे प्रसिद्ध चेहरों में से एक। आर्गन, सदियों से पश्चिमी साम्राज्य के राजाओं का सलाहकार। लेकिन वो राजमहल से दूर यहाँ घने जंगलों में क्या कर रहे थे, यह एक रहस्य था। थोर को लग रहा था कि कहीं यह सब कल्पना तो नहीं।

“आपकी आँखें आप को धोखा नहीं देती है,” आर्गन ने सीधे थोर को घूरते हुए ने कहा।

उसकी आवाज प्राचीन और गहरी थी, जैसे मानो वृक्ष ही कुछ बोल रहे थे। उसकी बड़ी, पारदर्शी आँखें उसे जैसे अन्दर तक चीर रही थी। थोर को एक गहरी ऊर्जा की अनुभूति हुई, मानो जैसे वो सूरज के सामने खड़ा था।

थोर ने तुरंत अपने घुटने टेक दिए और अपने सिर को झुका दिया।

“मेरे स्वामी,” उसने कहा। “आपको परेशान करने के लिए माफी चाहता हूँ।”

राजा के सलाहकार का अनादर करने का परिणाम कारावास या मौत ही होता है। यह तथ्य उसके दिमाग में उसके जन्म से ही बैठ गया था।

“उठो बच्चे,” आर्गन ने कहा। “यदि मैं चाहता कि तुम मेरे सम्मुख झुको तो मैं ऐसा कह देता।”

थोर धीरे से उठा और उनकी ओर देखने लगा। आर्गन चल कर उसके करीब आये। वह रुक गए थे और थोर को घूरने लगे, थोर अस्वस्थ महसूस करने लगा था।

“तुम्हारी आँखें तुम्हारी माँ जैसी हैं,” आर्गन ने कहा।

थोर भौचक्का रह गया। वह कभी अपनी माँ से नहीं मिला था, और वो अपने पिता के अलावा किसी ओर से कभी नहीं मिला जो उसकी माँ को जानता था। उसे कहा गया था कि बच्चा जनते समय उसकी माँ चल बसी थी, यह कुछ ऐसा था जिसके लिए वो सदैव अपने आपको दोषी समझता था। उसे हमेशा यह शक रहता था कि शायद इसीलिए उसका पूरा परिवार उससे नफरत करता था।

“मुझे लगता है कि आप मुझे कोई ओर समझ रहे हैं,” थोर ने कहा। “मेरी माँ नहीं हैं।”

“अच्छा तो नहीं हैं?” आर्गन ने मुस्कुराते हुए पूछा। “तो तुम्हें किसी आदमी ने अकेले ही जन्म दिया है क्या?”

“सर, मेरे कहने का मतलब था की मेरी माँ का देहांत मुझे जन्म देते हुए हुआ था। मुझे लगता है आप मुझे कोई ओर समझ रहे हैं।”

 

“तुम मैकलियोड़ कबीले से, थोग्रिन हो। चार भाईओं में सबसे छोटे, जिसका चयन नहीं हुआ था।”

थोर की आँखें फटी रह गयी। उसको समझ नहीं आ रहा था, इससे क्या आशय निकाला जाए। यह उसकी समझ से परे था, कोई आर्गन जैसे ओहदे वाला जानता था कि वो कौन है। उसने तो कभी सोचा भी नहीं था कि अपने गाँव के बाहर भी उसे कोई जानता है।

“आप.... यह कैसे जानते हैं?”

आर्गन जवाब दिए बिना ही मुस्कुरा दिया।

अब अचानक थोर की उत्सुकता बढ़ गयी थी।

“कैसे....” थोर ने हिचकिचाते हुए ने कहा, “...आप मेरी माँ को कैसे जानते हैं? क्या आप उनसे मिले हैं? वो कौन थी?”

आर्गन मुड़े और वहां से चल दिए।

“प्रश्नों को किसी ओर समय के लिए छोड़ दो” उन्होंने कहा।

थोर ने हैरानी से उन्हें जाते हुए देखा। यह एक चकरा देने वाला और रहस्यमयी मुलाक़ात थी, और यह सब बहुत तेज़ी से हो रहा था। उसने निश्चय किया कि वो उन्हें यूं ही नहीं जाने देगा; वह जल्दबाजी में उनके पीछे चल पड़ा।

“आप यहाँ क्या कर रहे हैं?” बात को आगे बढाते हुए थोर ने पुछा। आर्गन अपनी हाथी दांत से बनी छड़ी का उपयोग करते हुए भ्रामक रूप से तेज चलने लगे। “आप मेरा इंतज़ार तो नहीं कर रहे थे, क्यों हैं न?”

“तो फिर किसका?” आर्गन ने पुछा।

उनके पीछे–पीछे थोर तेज़ी से जंगल के अन्दर की ओर चला गया। “लेकिन मेरा ही क्यों?” आपको कैसे पता, मैं यहाँ आऊँगा? आपको आखिर क्या चाहिए?”

“इतने सारे सवाल, आर्गन ने कहा। “तुम्हें पहले सुन लेना चाहिए।”

थोर चुप रहने का प्रयत्न करते हुए घने जंगल में उनके पीछे चल दिया।

“तुम अपने भेड़ को ढूँढने आये हो,” आर्गन ने कहा। “यह एक अच्छा प्रयास है, लेकिन तुम अपना वक़्त बर्बाद कर रहे हो। वो जिन्दा नहीं होगी।”

थोर की आँखें फटी रह गयी।

“आप यह कैसे जानते हैं”

“लड़के, मैं दुनिया के बारे में ऐसी बातें जानता हूँ जो तुम कभी नहीं जान पाओगे। कम से कम अभी तक तो नहीं।”

थोर को उनसे कदम मिलाते हुए ताज्जुब हो रहा था।

“हालांकि, तुम सुनोगे नहीं। यह तुम्हारी प्रकृति है। बिलकुल जिद्दी। अपनी माँ की तरह। तुम तो बस दृढ निश्चय के साथ अपनी भेड़ को बचाने उसके पीछे जाओगे ही।”

आर्गन ने उसकी सोच को पढ़ लिया था तो थोर का चेहरा लाल हो गया।

“तुम एक सख्त लड़के हो,” उन्होंने आगे ने कहा। “दृढ-संकल्प वाले। बहुत स्वाभिमानी। सब सकारात्मक गुण है। लेकिन यही एक दिन तुम्हारे पतन का कारण होगा।”

आर्गन थोड़े और ऊपर की ओर चढ़ने लगा, और थोर भी उनके पीछे चल दिया।

“तो तुम राजा की सेना में शामिल होना चाहते हो?”

“जी हाँ,” थोर ने उत्सुकता से कहा। “क्या मुझे एक मौका मिल सकता है? क्या आप इसे संभव कर सकते है?”

आर्गन जोर से हंसने लगे, उसकी गहरी और भद्दी आव़ाज से थोर के शरीर में कंपकपी दौड़ गयी।

“मैं चाहूँ तो सब कुछ या फिर कुछ भी नहीं कर सकता। तुम्हारा भविष्य तो पहले से ही तय है। लेकिन तुम्हें तय करना है, तुम किसका चयन करते हो।”

थोर को कुछ समझ नहीं आया।

वे चोटी के शिखर पर पहुँच गए थे, वहां आर्गन रुके और थोर की ओर मुखातिब हुए। थोर बस उनसे केवल एक ही फीट की दूरी पर था, और आर्गन से आ रही ऊर्जा का प्रवाह उसे जला रहा था।

“तुम्हारा भविष्य काफी महत्वपूर्ण है,” उन्होंने कहा। “इसकी उपेक्षा मत करो।”

थोर की आँखें फटी रह गयी। उसका भाग्य? महत्वपूर्ण? उसको अब गर्व की अनुभूति हो रही थी।

“मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा। आप तो पहेलियों में बात करते हैं। कृपा करके मुझे और भी बताईए।”

आर्गन गायब हो चुका था।

थोर का मुँह खुला रह गया। उसने भौचक्का हो कर हर ओर ध्यान से देखा। क्या सब उसकी कल्पना थी? कोई भ्रम था? थोर चोटी के शिखर पर खड़ा हो कर, अपने लाभ की सोचते हुए, जहां तक उसकी दृष्टि जाती उसके परे वो जंगल खंगालने लगा। उसे थोड़ी दूर पर कुछ हिलता हुआ नज़र आया। उसे एक आव़ाज सुनाई दिया, और उसे विश्वास हो गया कि यह बस उसकी भेड़ थी।

वह जंगल के रास्ते वापस ध्वनि की दिशा में, काई से भरे रास्ते में से ठोकर खाते हुए जल्दी से नीचे की ओर चला गया। जाते-जाते वह आर्गन के साथ उसकी मुलाक़ात को भुला नही पा रहा था। उसे तो विश्वास ही नहीं था कि ऐसा भी कुछ हुआ है। कहीं ओर ना हो कर राजा का पुरोहित इस जगह क्या कर रहा था? वे तो उसी का इन्तज़ार कर रहे थे। लेकिन क्यों? और उसके भाग्य के बारे में से उनका क्या मतलब था?

थोर जितना ये सब समझना चाह रहा था उतना ही उलझ रहा था। आर्गन ने उसे लालच भी दिया और साथ ही आगे ना बढ़ने के लिए चेतावनी भी। अब जब वो आगे को बढ़ रहा था, थोर को एक सशक्त पूर्वाभास का अनुभव हुआ, मानो कुछ महान कार्य घटित होने वाला हो।

जब उसने मुड़ के देखा तो सामने का नज़ारा देख कर वहीँ जड़वत हो गया। अब तक के सारे दू:स्वप्न जैसे सच हो गए थे। उसके रोंगटे खड़े हो गए थे, उसे अब एहसास हो गया था की जंगल के इतने भीतर आ कर उसने बहुत बड़ी गलती कर दी थी।

उसके सामने बस तीस कदम की दूरी पर सीबोल्ड था। वह काफी मजबूत था, देखने में एक घोड़े के बराबर था, पूरे जंगल में इसे सबसे खतरनाक माना जाता है, शायद पूरे राज्यभर में। उसने इसकी कथाएँ तो सुन रखी थी लेकिन असली में कभी देखा नहीं था। यह तो देखने में एक शेर जैसा था, लेकिन उससे भी बड़ा, चौड़ा, इसकी चमड़ी चमकीली लाल और आँखें पीली और प्रकाशमान थी। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि उसे उसका लाल रंग मासूम बच्चों के खून से मिला है।

थोर ने ऐसे जानवर की कथाएँ तो सुन रखी थी, और ये सब बातें भी सच हो जरूरी नहीं था। वो शायद इसीलिए था क्योंकि इसके साथ मुठ्भेड के बाद कभी कोई जिन्दा बचा ही नहीं हो। कुछ तो सीबोल्ड को जंगल का भगवान् मानते थे, और एक संकेत भी। यह संकेत भला क्या हो सकता था। थोर को इसका कोई अनुमान नहीं था।

वह सावधानी से पीछे हट गया।

सीबोल्ड का जबड़ा आधा खुला हुआ था, जहरीले दांत से लार गिर रही थी, और वह अपनी पीली आँखों से उसे घूर रहा था। गायब हुई भेड़ उसके मुँह में थी: वो उसके मुंह में उल्टा लटकी हुई थी, मिमियाते हुए उसके आधे शरीर पर उसके दांत गढ़े हुए थे। वो तो बस जैसे मर गया था। ऐसा लग रहा था जैसे सीबोल्ड को अपने शिकार को मारते हुए मज़ा आ रहा था, वो भी धीरे-धीरे।

थोर को अपनी भेड़ का मिमियाना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। भेड़ कराह रही थी, असहाय सी और इसके लिए अपने आप को जिम्मेदार मान रहा था।

थोर को लग रहा था कि उसे तो बस वहां से भागना चाहिए, लेकिन वो जानता था कि यह प्रयास बेकार होगा। यह जानवर तो किसी को भी भागने में पछाड़ सकता था। भागने से तो वो और भी उद्दंड हो जाएगा। और वो अपने भेड़ को यूं ही मरने के लिए नहीं छोड़ सकता था।

वो डर से वहीँ जम गया, और जानता भी था कि उसे अब कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।

वो प्रतिक्रिया के लिए तैयार हो गया। उसने धीरे से अपने थैले में से एक पत्थर निकाला और गुलेल पर चढ़ा दिया। कांपते हाथों से उसने निशाना साधा, एक कदम आगे बढ़ाया और फिर वार कर दिया।

पत्थर हवा में लहराता हुआ अपने निशाने पर लग गया। एकदम सटीक निशाना। वह भेड़ की पुतलियों से होता हुआ उसके दिमाग में धंस गया।

भेड़ ठंडी पड़ गई। वह मर गयी थी। थोर ने भेड़ को सभी पीड़ा से मुक्त कर दिया था।

अपने खिलौने को मरते देख सीबोल्ड थोर पर आग बबूला हो गया। उसने धीरे से अपने जबड़े खोल दिए और भेड़ को नीचे गिरा दिया, भेड़ नीचे जमीन पर धम से गिर पड़ी। और उसके बाद उसने अपनी नजरें भेड़ पर गड़ा दी।

वह जोर से दहाड़ा, उसकी वो आव़ाज मानो जैसे उसके पेट के अंदर से निकली हो।

जैसे ही वो उसकी ओर लपका, थोर ने, धड़कते दिल से अपने गुलेल पर एक और पत्थर चढ़ा दिया और एक बार फिर निशाना साधने के लिए तैयार हो गया।

सीबोल्ड अब छलांगें लगाता हुआ दौड़ने लगा, इतना तेज़ कि थोर ने कभी भी अपने पूरे जीवन में किसी को ऐसे दौड़ते नहीं देखा था। यह प्रार्थना करते हुए कि निशाना सटीक हो, थोर ने एक कदम आगे को बढ़ाया और गुलेल से पत्थर दे मारा, वो जानता था कि उसे एक बार और गुलेल पर निशाना साधने का मौका नहीं मिलेगा।

पत्थर जानवर की दाहिनी आँख पर जा लगा और उसे भेद दिया। यह काफी जबरदस्त था, अगर कम ताकतवर जानवर होता तो घुटने टेक देता।

लेकिन यह तो कोई साधारण जानवर नहीं था। इसे रोकना नामुमकिन था। चोट लगने से वो अब दहाड़ने लगा, लेकिन शांत बिलकुल नहीं हुआ। एक आँख के चले जाने के बाद, बावजूद इसके कि उसके दिमाग में पत्थर धंसा हुआ था, वो थोर की ओर लपक पडा। थोर अब कुछ भी नहीं कर सकता था।

एक निमिष के बाद तो वो जानवर बिलकुल थोर के ऊपर था। उसने अपने बड़े पंजों को उसके कंधों पर दे मारा।

थोर चीख पडा। उसे ऐसा लगा मानो उसके मांस को तीन-तीन चाक़ू से काटा गया हो, गरम खून की धारा तुरंत ही बह निकली।

जंगली जानवर ने उसे ज़मीन पर गिरा दिया, वह उसके चारों पैरों तले दबा हुआ था। भार इतना ज्यादा था जैसे कोई हाथी उसकी छाती पर खड़ा हो। थोर को लगा उसकी हड्डी-पसली चरमरा रही हो।

जंगली जानवर ने जोर से अपने सर को पीछे की ओर किया, उसने अपने जहरीले दांत दिखाते हुए अपने जबड़ों को पूरा खोल दिया और थोर की गर्दन की ओर बढाने लगा।

जैसे उसने मुँह बढ़ाया थोर ने बढ़ कर उसके गर्दन को पकड़ लिया; यह बिलकुल सख्त मांसपेशी को पकड़ने जैसा था। जैसे-जैसे उसके दांत नीचे की ओर आते गए उसकी बांह कांपने लगी। उसने उसकी गर्म साँसों को अपने पूरे चेहरे पर महसूस किया, उसकी लार टपक कर गर्दन पर गिर रही थी। एक गहरे तेज दहाड़ ने थोर के कानों को जला दिया। उसे मालूम था कि अब वो नहीं बचेगा।

थोर ने अपनी आँखें बंद कर ली!

हे भगवान्, दया करो। मुझे शक्ति दो। मुझे इस जानवर से लड़ने की ताकत दो। दया करो। मैं तुमसे भीख मांगता हूँ। तुम जो कहोगे मैं वो सब करूंगा। मुझ पर आपका बहुत बड़ा उपकार होगा।

और तभी कुछ हुआ। थोर को अपने अन्दर, अपने नब्जों के भीतर बहुत तेज़ गर्मी की अनुभूति हुई, जैसे भरपूर ऊर्जा उसमें आ गयी हो। उसने अपनी आँखें खोली और उसने कुछ जैसा देखा जिसे वो चौंक गया: उसके हथेलियों से पीली रौशनी निकल रही थी, और जब उसने जंगली जानवर की गर्दन को पीछे धकेला, तो अद्भुत रूप से, उसमें इतनी शक्ति थी कि उसे वो अपने से दूर पकडे रख सकता था।

थोर उसे तब तक धकेलता रहा जब तक वो वास्तव में उसे पीछे की ओर धकेल पाया। उसकी शक्ति बढ़ गयी थी और उसे अपने में तोप के गोले जैसी ऊर्जा की अनुभूति हुई – और फिर तुरंत ही जंगली जानवर पीछे की ओर, दस फीट दूर जा गिरा। वो अपनी पीठ के बल गिरा था।

थोर उठ कर बैठ गया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था।

जानवर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। और फिर, गुस्से से धधकता हुआ वो एक बार फिर लपका – लेकिन इस बार थोर को कुछ अलग सा महसूस हुआ। उसमें ऊर्जा का प्रवाह धधक उठा, वो अपने आपको इतना शक्तिशाली महसूस करने लगा जैसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ।

जैसे ही जंगली जानवर उसकी ओर लपका, थोर नीचे को झुक गया, और फिर उसे उसके पेट से पकड़ कर जोर से उसी की गति से फेंक दिया।

जंगली जानवर जंगल के अन्दर एक पेड़ से टकरा कर जमीन पर गिर पड़ा।

थोर भौचक्का हो कर देखता रहा। क्या उसने सीबोल्ड को सच में अभी पटक दिया था?

जंगली जानवर ने दो बार पलकें झपकाई, और थोर की ओर देखने लगा। वह फिर से उठा और एक बार फिर लपक पड़ा।

इस बार जैसे ही जंगली जानवर उसकी ओर लपका, थोर ने उसे उसकी गर्दन से पकड़ लिया। दोनों ही ज़मीन पर गिर पड़े, जानवर थोर के ऊपर था। लेकिन थोर ने पलटी खा कर उसके ऊपर आ गया। जानवर अपने सर को उठा कर बार-बार उस पर अपने दांत गढ़ाने की कोशिश करता रहा, ऐसे में थोर ने उसे पकडे रखा, वो अपने दोनों हाथों से उसका दम घोंट रहा था। वो बस चूक गया था। थोर को एक नयी शक्ति का एहसास हुआ, उसने अपने हाथों को जोर से कस दिया और उसे जाने नहीं दिया। उसने उस ऊर्जा को अपने अन्दर आने दिया। और फिर जल्द ही वह अपने आप को उस जानवर से भी ताकतवर महसूस करने लगा।

वो सीबोल्ड का दम घोंट कर उसे मारने की कोशिश कर रहा था। आखिरकार, जानवर निर्जीव हो गया।

थोर ने पूरे एक मिनट के लिए अपनी पकड़ को बनाए रखा।

वह सांस लेने की कोशिश करता हुआ धीरे से उठ कर खड़ा हो गया, फटी आँखों से नीचे की ओर देखते हुए, उसने अपनी जख्मी बांहों को थाम रखा था। अभी यहाँ क्या हुआ था? क्या उसने, थोर ने, अभी सीबोल्ड को मार दिया था?

उसे लगा, बाकी दिनों से अलग आज के दिन, यह एक संकेत था। उसे लगा जैसे कुछ महान काम हो गया था। उसने अभी – अभी अपने राज्य के सबसे खूंखार और डरावने जंगली जानवर को मार दिया था। बिना किसी हथियार के, वो भी अकेले। यह सब सच नहीं लग रहा था। कोई भी उसकी बात पर विश्वास नहीं करेगा।

वो सोच रहा था ऐसी कौन सी शक्ति थी जिसका वो गुलाम हो गया था, इस सबका क्या मतलब था, वो कौन था, उसकी पूरी दुनिया जैसे घूम रही थी। ऐसे माना जाता है कि केवल राज पुरोहितों को ही ऐसी शक्ति हासिल है। लेकिन उसके माता-पिता तो कोई पुरोहित नहीं थे, इसका मतलब वो भी पुरोहित नहीं हो सकता।

या फिर क्या हो सकता?

उसे लगा कोई उसके पीछे है, जैसे ही पलटा उसने आर्गन को वहां खड़े पाया जो जानवर को घूर रहा था।

“आप यहाँ कैसे आये?” थोर ने चौंक कर पुछा।

आर्गन ने उसे अनदेखा कर दिया।

“अभी यहाँ जो हुआ, क्या आपने देखा?” थोर ने अविश्वसनीय रूप से पुछा। “मैं नहीं जानता मैंने यह सब कैसे किया।”

“लेकिन तुम जानते हो” आर्गन ने जवाब दिया। “अन्दर ही अन्दर तुम यह जानते हो। तुम ओरों से अलग हो।”

“यह बस एक.... शक्ति प्रवाह जैसा था,” थोर ने कहा। “ऐसी शक्ति जिसे मैं भी नहीं जानता था कि मुझ में है।”

“ऊर्जा से भरा मैदान,” आर्गन ने कहा। “एक दिन तुम यह सब बहुत अच्छे से जान जाओगे। तुम इसे नियंत्रित करना भी सीख जाओगे।”

थोर ने अपनी बाहों को थामा, उसे बहुत पीड़ा हो रही थी। उसने देखा की उसका हाथ खून से भर गया था। उसका सिर चकरा रहा था, उसे चिंता थी कि यदि मदद ना मिली तो क्या होगा।

आर्गन तीन कदम आगे बढ़ा और थोर के करीब आकर उसके दुसरे हाथ को उसके चोट के ऊपर रख दिया। उसने उसका हाथ पकडे रखा, पीछे हट कर उसने अपनी आँखें मूँद ली।

थोर को अपनी बाजुओं में एक गर्म प्रवाह का आभास हुआ। और फिर पल भर के अन्दर ही उसके हाथ में लगा चिपचिपा खून सूख चुका था, उसे लग रहा था जैसे पीड़ा भी फीकी पड़ गई हो।

उसने अपने आप को देखा और कुछ भी समझ नहीं सका: वो पूरा ठीक हो गया था। वहां तो बस पंजों के तीन निशान रह गए थे – लेकिन वो भरे हुए और बहुत पुराने लग रहे थे। वहां अब और खून भी नहीं था।

थोर ने आर्गन की ओर चौंक कर देखा।

“आपने यह कैसे किया?” उसने पुछा।

आर्गन बस मुस्कुरा दिया।

“मैंने नहीं किया। तुमने किया। मैंने तो बस तुम्हारी शक्ति को दिशा दी है।”

 

“लेकिन मुझ में तो कोई ऐसी शक्ति नहीं जिसे चोट ठीक हो जाए,” थोर ने परेशान हो कर ने कहा।

“अच्छा तो तुम में नहीं है?” आर्गन ने जवाब दिया।

“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है,” थोर ने बेहद बेसब्री से कहा। “कृपा कर के मुझे बताईए ना।”

आर्गन ने दूसरी और को मुँह कर लिया।

“कुछ बातें तुम्हें समय के साथ सीखनी चाहिए।”

“अच्छा! तो क्या इसका मतलब है कि मैं राजा की सेना में भर्ती हो सकता हूँ?” उसने उत्सुकता से पूछा। “क्यों नहीं, यदि मैं सीबोल्ड को मार सकता हूँ तो मैं अन्य सभी लड़कों के मुकाबले में अपने आप को साबित कर सकता हूँ।”

“बिलकुल तुम कर सकते हो,” उन्होंने जवाब दिया।

“लेकिन उन्होंने तो मेरे भाईयों को चुना है – उन्होंने मुझे नहीं चुना।”

“तुम्हारे भाई जंगली जानवर को मार नहीं सकते।”

थोर ने कुछ सोचते हुए पलट कर देखा।

“लेकिन उन्होंने तो मुझे पहले से ही अस्वीकृत कर दिया है। मैं अब उसमें कैसे शामिल हो सकता हूँ?”

“अच्छा, तो कब से वीरों को निमंत्रण भेजा जाता है?” आर्गन ने पुछा।

इन शब्दों का गहरा असर हुआ। थोर को लगा उसके शरीर में गर्मी आ गयी थी।

“तो क्या आपका कहना है की मैं बस यूं ही चला जाऊं? बिना निमंत्रण के?”

आर्गन मुस्कुरा दिए।

“तुम अपना भाग्य खुद लिखते हो। बाकी लोग नहीं।”

थोर ने अपनी पलकें झपकाई – और फिर एक क्षण बाद, आर्गन जा चुका था। फिर से।

थोर हर दिशा में देखते हुआ पलटा, लेकिन कहीं उनका नामो-निशान नहीं था।

“मैं यहाँ हूँ!” एक आवाज़ आई।

थोर ने पलट कर देखा और बस उसे एक बड़ा सा पत्थर ही दिखा। उसे लगा की आवाज ऊपर से आई है, और वो तेज़ी से पत्थर पर चढ़ने लगा।

ऊपर पहुँच कर वो ये देख कर चौंक गया की आर्गन वहां नहीं था।

इस जगह से उसे जंगल के पेड़ों के ऊपर तक दिखाई दे रहा था। जहां जंगल ख़त्म होता है, उसे वो दिखाई दिया, ढलता सूरज दिखाई दिया और उसके पीछे उसे वो मार्ग दिखाई दिया जो राजा के दरबार तक जाता था।

“यह मार्ग तुम्हारे लिए ही है” आवाज आई। “यदि हिम्मत है तो।”

थोर ने घूम कर देखा पर वहां कुछ नहीं था। वह तो बस एक आवाज़ थी जो गूँज रही थी। लेकिन वो जानता था कि आर्गन यहीं कहीं है, जो उसे आगे बढ़ने के लिए उकसा रहा था। और अब उसे लग रहा था कि वो बिलकुल सही था।

एक पल भी गंवाए बिना थोर बड़े से पत्थर से नीचे उतरा और जंगल से हो कर दूर को जाते मार्ग पर चल पड़ा।

वह अपने भाग्य की ओर छलांगें भर रहा था।